आज हम आपको धोखेबाज कविता – Deceitful poem में आपको प्रदान करने वाले है. जोकि Deceitful poem in Hindi है-
Deceitful poem
In the shadows’ grasp, where truth does sleep,
धोखेबाज़ी unfolds its web so sly.
A serpent’s tongue, with venom hung,
झूठ की बातें, whispers multiply.
A mask adorned, with smiles adorned,
Yet behind, a darker guise.
चुपके से, eyes that gleam,
Concealing truth in subtle ties.
Beneath the guise of friendship’s eyes,
छल की कला, the art of treacherous play.
बातें जो बुनती हैं, like a tangled sieve,
Capture trust and lead astray.
Oh, the art of deception’s chart,
रंग-बिरंगा कला, painted in hues of cunning art.
In every line, a twisted sign,
A masterpiece of a deceitful heart.
Beware the charm that seeks to harm,
A serpent’s kiss in shadows cast.
धोखेबाज़ी में, the echoes repeat,
Leaving broken bonds in the past.
धोखेबाज कविता हिंदी में
आशा थी, विश्वास था, सच्चाई में बहुत आस,
दिल में छुपी राहों में, मिला धोखा है विश्वास।
चेहरों की हंसी, बातों की मीठास,
सब नकली था, बना दिया सब कुछ एक धोखा में ही क्षणात्मक।
ज़हन की दहलीज़ों में बसी थी एक सपनों की आस,
बिना बताए, बिना समझाए, बदल गए सब कुछ एक धोखे में ही क्षणात्मक।
आँसुओं के सागर में डाला था भरोसा,
पर वहां भी मिला धोखा, एक ख्वाब था बस खोजा।
मुसीबतों के समय में होती थी साथी,
पर धोखा ने बदला सब कुछ, तोड़ दिया यारी का हर बांध।
धोखेबाज़ व्यक्ति था, मासूम सा रूप था,
छुपे खेल में हमें खेलना सिखा, सच्चाई का सामना करना था।
प्यार और विश्वास की मिसाल बना दी थी उसने,
पर वह सब था एक दुर्बल अभिव्यक्ति, धोखा देकर भी नजरें झुका दी थी।
धोखेबाजी की कहानी, है कड़ी क़िस्सा,
चेहरे पर हंसी और दिल में छुपा धोखा, बना देता है सच्चाई का हिस्सा।
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