Hindi Story For Class 8 Students – कक्षा 8 के छात्रों के लिए हिंदी कहानी

नमस्ते, मैं इस पोस्ट में Hindi Story For Class 8 Students जोड़ रहा हूँ। मैं जानता हूं कि आप सभी को अपना कार्य पूरा करने के लिए होमवर्क मिल रहा होगा या कहानी के माध्यम से आप कुछ नया सीख सकते हैं। तो ये कहानियाँ आपके दिमाग की सोच को बढ़ाती हैं और आपको नैतिक शिक्षा भी देती हैं।

नमस्कार, Hindi Story For Class 8 Students के बारे में इस ब्लॉग पोस्ट में आपका स्वागत है! कहानियों में हमारी कल्पना को पकड़ने, हमें महत्वपूर्ण सबक सिखाने और दूर-दराज के देशों में साहसिक यात्रा पर ले जाने की शक्ति होती है। Class 8 Students के लिए, कहानियों के माध्यम से Hindi सीखना उनके भाषा कौशल के साथ-साथ पढ़ने और लिखने के प्रति उनके प्यार को विकसित करने का एक मजेदार और आकर्षक तरीका हो सकता है।

Hindi Story For Class 8

चाहे आप एक छात्र, शिक्षक या अभिभावक हों, मुझे आशा है कि यह ब्लॉग पोस्ट आपको Hindi Story For Class 8 Students की दुनिया में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा और आपको इस रोमांचक और आकर्षक शैली में खोज और विकास की अपनी यात्रा शुरू करने के लिए प्रेरित करेगा। तो आइए जानते हैं इन very short Hindi stories के बारे में।

Hindi Story For Class 8 Students – कक्षा 8 के छात्रों के लिए हिंदी कहानी
Hindi Story For Class 8 Students – कक्षा 8 के छात्रों के लिए हिंदी कहानी

Hindi Story For Class 8 Students

अहंकारी शेरनी कहानी हिंदी में

एक जंगल था। जिसमें एक शेर और शेरनी रहती थी। वह जंगल का राजा और शेरनी उस जंगल की रानी थी। दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। उन दोनों के दो बच्चे भी थे। परंतु दोनों का स्वभाव भिन्न था।

शेर एकदम विनम्र था। जंगल में हरकोई शेर का बहुत सम्मान करता था। अगर जंगल में कोई भी लड़ाई हो जाए तो शेर उनका समाधान निकालता।

दूसरी तरफ शेरनी ऐसी नहीं थी। उसको अपनी ताकत बहुत अभिमान था। वह उस जंगल में हर किसी को अपने से छोटा मानती थी।

वह अपने बच्चों को भी जंगल के किसी प्राणी या जानवर के साथ खेलने नहीं देती थी।

वह जंगल में जाती तो किसी से सीधी बात नहीं करती थी बल्की मुंह दूसरी तरफ करके उसे नीचा बता कर निकल जाती थी।

जब उनके बच्चे किसी जानवर के साथ खेलते तो अपने बच्चों को डांटती और कहती की, “बच्चों मैंने मना किया है ना कि जंगल में किसी जानवर के साथ मत खेलो, उनकी तुम्हारे साथ खेलने की औकात नहीं है। यह तुम्हारे स्तर के नहीं है।”

यह सुनकर बच्चे और वह जानवर दुःखी हो जाते।

एक दिन की बात है मां और बच्चे दोनों खाना खा रहे थे। तब अचानक पीछे से एक जहरीला सांप बच्चों को मारने के इरादे से आया और धीरे-धीरे बच्चों की तरफ बढ़ने लगा।

मां को इस बारे में कुछ भी पता नहीं चला। पर गिद्धने उसे देख लिया। उसने उस सांप को मार डाला। उसने बच्चों की इस तरह जान बचाई।

पर शेरनी उसको शुक्रिया करने के बदले अपने बच्चों को लेकर वहां से चली गई। इस बात से गिद्ध को बहुत बुरा लगा।

एक बार मां और बच्चे नदी किनारे खेल रहे थे। शेरनी को नींद आ गई और वह सो गई। बच्चे मां को बिना बताए अकेले ही वहां से चले गए।

जब शेरनी की नींद खुली तब उसने देखा तो बच्चे वहां नहीं थे। वह बहुत डर गई और घबरा गई क्योंकि शेर भी किसी जंगल के काम से बाहर गया था। वह जंगल में अपने बच्चों को ढूंढने लगी।

उसने बंदर को देखा और पूछा कि “तुमने मेरे बच्चों को देखा?”

बंदर यह सोच में पड गया की शेरनी मुझसे बात कर रही है।

उसने कहा कि, “रानी जी आप मुझसे बात कर रही है क्योंकि मैं जब भी आपसे प्रणाम करता था तब आप अपना मुंह दूसरी ओर कर चली जाती थी। इसीलिए मैं यह बात पूछ रहा हूं।”

यह सुनकर शेरनी को बहुत बुरा लगा। अपने व्यवहार पर उसे काफी शर्मिंदगी महसूस हुई। वह वहां से चली गई।

वहां रास्ते पर एक हाथी मिला। उसने हाथी से अपने बच्चों के बारे में पूछा।

हाथी ने कहा कि, “में तो एक पागल हाथी हूं ना! आप तो मुझे हमेशा यही कहती थी। तो मुझे कैसे पता?”

शेरनी यह सुनकर कुछ भी बोले बिना वहां से चली गई।

ऐसा कर सब शेरनी को कुछ ना कुछ बोलने लगे जो शेरनी इन्हे हमेशा अहंकार में आकर कहती थी।

यहां तक कि एक चूहेने भी मदद करने से मना कर दिया।

उसने कहा कि, “ मैं तो एक नासमझ और बहुत छोटा जीव हूँ ना! तुम मुझे यह ही कहती थी। तो मुझे कैसे मालूम?

यह सब देख कर शेरनी को अपनी भूल समझ में आई और उसने अपने अहंकार के लिए सब से माफी मांगी। और फिर वह रोने लगी।

सब जानवर ने उन्हें माफ किया और उनके बच्चों को ढूंढने लगे।

हाथी ने उनके बच्चे को एक पहाड़ पर खेलते हुए ढूंढ लिया। शेरनी बच्चों को देखकर बहुत खुश हुई और वह सब के साथ अच्छे से जंगल पर रहने लगी।

नैतिक सीख: हमें कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए। हमें हमेशा सब के साथ अच्छे से रहना चाहिए। हमें नहीं पता की जिस का हम अहंकार में आकर अपमान करते है कल उसकी की इस कहानी तरह जरूर पड़ जाये।

Hindi Story For Class 8 Students | Moral Stories for class 8

संघर्ष का सफलता कहानी

एक समय की बात है, एक गांव में एक छोटा सा लड़का रहता था जिसका नाम अर्जुन था। वह बहुत ही प्रतिबद्ध और मेहनती था। उसका सपना था कि वह एक दिन बड़ा आदमी बनेगा।

अर्जुन का सपना सिर्फ सपना नहीं था, वह इसे पूरा करने के लिए कठिनाईयों का सामना करता रहता था। एक दिन, गांव में एक बड़ा मेला आया। उस मेले में एक घुड़सवारी का प्रतियोगिता आयोजित की गई। अर्जुन ने उस प्रतियोगिता में भाग लिया।

प्रतियोगिता का स्तर बहुत ऊँचा था और अर्जुन को पहले ही दौड़ में हार जाने का खतरा था। लेकिन वह हार नहीं मानता था। उसने मेहनत और संघर्ष से अपनी कसरत में पूरी निष्ठा और समर्पण दिया।

अर्जुन ने संघर्ष में जीत हासिल की और प्रतियोगिता जीती। उसकी मेहनत और आत्मसमर्पण ने उसे सफलता दिलाई। उसकी इस जीत ने उसके जीवन को नई ऊँचाइयों तक ले जाया।

नैतिक शिक्षा: इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि मेहनत, संघर्ष और आत्मसमर्पण से कोई भी मुश्किलें पार की जा सकती हैं। समर्पण और परिश्रम से ही हम अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं।

Hindi Story For Class 8 Students

Hindi Story For Class 8 Competiton

शिव का धनुष किसने तोड़ा कहानी

एक समय की बात है कक्षा 6 के विद्यार्थी शरारत कर रहे थे। अचानक विद्यालय में शिक्षा अधिकारी के आगमन की सूचना मिली। सभी शिक्षक अपनी अपनी कक्षाओं में जा पहुंचे। विद्यार्थी शांत और होनहार विद्यार्थी की भांति पुस्तक पढ़ने लगे।

शिक्षा अधिकारी का आगमन जब कक्षा 6 B में हुआ सभी विद्यार्थी पढ़ने में मग्न थे। अध्यापक सभी विद्यार्थियों को पढ़ा रहे थे। शिक्षा अधिकारी के आगमन पर पूरी कक्षा शांत भाव से खड़ी हो गई। अधिकारी के आदेश पर सभी विद्यार्थी यथास्थान बैठ गए। शिक्षा अधिकारी ने देखा विद्यार्थी इतने होनहार हैं। विद्ययार्थियों से कुछ प्रश्न किया जाए। उन्होंने एक प्रश्न किया बच्चों

शिव का धनुष किसने तोड़ा था?

पूरी कक्षा में ऐसा सन्नाटा पसरा जैसे अमावस की रात को घने वन में सन्नाटा पसरा हुआ होता है। शिक्षा अधिकारी ने एक बालक को खड़ा किया और उनसे आग्रह किया कि वह उत्तर दें। बालक अभी शरारत करके ही बैठे थे , इसलिए वह बालक समझा कि हमारी शरारत पकड़ी गई। किसी विद्यार्थी ने धनुष तोड़ दिया होगा। इस पर वह बालक बालोचित रोते हुए बोला सर यह धनुष मैंने नहीं तोड़ी कहकर तीव्र / जोर से रोने लगा।

शिक्षा अधिकारी ने चुप करा कर उसे बिठाया कोई बात नहीं आप बैठ जाओ फिर उन्होंने दूसरे तीसरे कई विद्यार्थियों को खड़ा करके प्रश्न का उत्तर मांगा , किंतु सभी विद्यार्थी वही प्रक्रिया दोहराते रहे जो पहले विद्यार्थी ने दोहराई थी। इस पर शिक्षा अधिकारी अचंभित हो गए , कि इतना छोटा सा जवाब किसी विद्यार्थी को नहीं पता ?

उन्होंने कक्षा में उपस्थित शिक्षक महोदय से ही वह प्रश्न पूछ लिया। अब शिक्षक महोदय भी अभी-अभी कक्षा में ही पधारे थे , उन्होंने भी जवाब दिया श्रीमान किसी बच्चे ने तोड़ दिया होगा। प्रिंसिपल साहब से मिल लीजिए वह ठीक कर देंगे। अब शिक्षा अधिकारी और चक्कर खा गए और शिक्षा व्यवस्था का हाल जान गए।

कुछ समय के उपरांत

शिक्षा अधिकारी , प्रधानाचार्य कार्यालय में गए। कक्षा में पूछे गए प्रश्न – शिव का धनुष किसने तोड़ा ? प्रधानाचार्य जी से पूछा। इस प्रश्न के जवाब में प्रधानाचार्य ने उत्तर दिया श्रीमान किसी विद्यार्थी ने खेलते-खेलते तोड़ दिया होगा। कोई बात नहीं नया धनुष मंगवा देंगे।

अंततः शिक्षा अधिकारी को एक छोटे से प्रश्न का जवाब भी ना मिल सका। विद्यालय में मिलने वाली शिक्षा की गुणवत्ता को वह जान चुके थे , वास्तविकता को पहचान चुके थे। इस पर शिक्षा अधिकारी नाराज होते हुए शिक्षा व्यवस्था और शिक्षा के गुणवत्ता को सुधारने के लिए प्रधानाचार्य को आदेश देकर गए और निरंतर औचक निरीक्षण की बात भी कह गए।

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संगीत सीखना कहानी

एक गांव में एक बच्चा रहता था जिसका नाम राजू था। वह बच्चा बहुत ही जिज्ञासु और पढ़ाई में रुचाया रखता था। एक दिन, उसने अपने पिताजी से पूछा, “पिताजी, मैं बड़ा होकर क्या बनना चाहता हूँ?”

पिता मुस्कराए और कहा, “राजू, जब तू बड़ा होगा, तो अच्छे व्यवहारी और ज्ञानी बनना।”

राजू ने अपने पिताजी की सीख को ध्यान से सुना। उसने अपनी पढ़ाई में संगीनता से ध्यान दिया और नियमित रूप से पढ़ाई की। उसने हर कदम पर मेहनत और समर्पण से काम किया।

अचानक एक दिन, गांव में एक प्रतियोगिता आयोजित हुई। राजू ने भी उसमें भाग लिया। प्रतियोगिता में वह पहला आया। उसकी मेहनत, संघर्ष और संगीनता ने उसे उस पदक तक पहुँचाया जो उसने कभी सोचा भी नहीं था।

नैतिक शिक्षा: इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि संगीनता, समर्पण और मेहनत से हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं। हमें चाहिए कि हमेशा संघर्ष करते रहें और सीखने की भावना से जीवन में आगे बढ़ें।

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Hindi Story Telling For Class 8

संत की खुशी का राज कहानी

राज्य से बाहर एक छोटे से टीले पर एक संत काफी दिनों से पेड़ की छांव में बैठा था। लोग उससे मिलने के लिए दूर-दूर से आया करते थे। कुछ ही समय हुआ होगा कि उसकी ख्याति दूर-दूर के राज्यों तक फैल गई थी। उस संत महात्मा से मिलने कितने ही राजा आ गए थे।

पड़ोसी राजा को भी मिलने का मन हुआ। राजा ने सोचा आखिर चलकर देखना चाहिए किस प्रकार का संत यहां ठहरा हुआ है और उसमें क्या विशेषता है। राजा ने यह विचार करते हुए संत से मिलने के लिए अपने मंत्रियों के साथ पहुंच गए।

राजा और संत के बीच काफी देर वार्तालाप हुई राजा संत की बातों से बेहद ही प्रभावित हुए और उन्हें अपने महल चलने के लिए आग्रह करने लगे।

संत तुरंत ही राजा के साथ चलने को राजी हो गए राजा आश्चर्यचकित रह गया। उसने यह कल्पना भी नहीं की थी कि संत तुरंत ही राजा के साथ चलने के लिए राजी हो जाएगा किंतु राजा ने स्वयं ही आग्रह किया था तो वह अपने बातों से कैसे पलट सकता था।

राजा संत को लेकर महल में आए

महल के शाही भोजन संत के सामने परोसे गए संत बेहद प्रसन्नता पूर्वक उन सभी व्यंजनों को इच्छा अनुसार खाते रहे। खाने के लिए उन्हें आज से पूर्व इतने व्यंजन नहीं मिले थे तो उन्हें बेहद ही आनंद आया। सोने के लिए उन्हें महल के मखमली बिस्तर मिले जिसे संत ने स्वीकार करते हुए महल में विश्राम किया।

इस प्रकार के सुख सुविधाओं में संत का जीवन चलने लगा 1 दिन राजा ने संत से अपने भीतर उठ रहे प्रश्नों का निवारण संत से चाहा। संत ने कहा स्पष्ट तुम अपने प्रश्न को मुझसे पूछ सकते हो

राजा कहता है महात्मा आप संत हैं मैंने सोचा था आप मेरे महल नहीं चलेंगे किंतु आप महल भी आ गए और शाही व्यंजन जो साधु संत नहीं करते वह भी आपने किया साधु-संत मखमली राजशी विस्तलों पर विश्राम नहीं करते वह भूमि पर ही अपने लिए बिस्तर लगाते हैं वह भी आपने नहीं किया क्या आप संत नहीं है।

संत के चेहरे पर प्रश्न सुनते ही एकाएक मुस्कान आ गई और अपने उत्तर के लिए राजा से कहा आपको मेरे साथ बाहर चलना होगा।

राजा को लेकर संत पूर्व दिशा की ओर चल दिए 15 मिनट चलने के उपरांत राजा ने संत से पूछा आप मेरे प्रश्नों के उत्तर कब देंगे ?

कुछ दूर और चलिए आपको आपके उत्तर मिल जाएंगे संत ने कहा।

आधा घंटा हो गया धूप के मारे राजा के प्राण निकलने को हो गए गला सूख गया पसीने से पूरा शरीर तरबतर हो गया राजा ने पुनः पूछा महाराज आप मेरे प्रश्नों के उत्तर कब देंगे मेरे मरने के बाद ?

संत ने कहा मैं संत हूं मुझे चाहे किसी प्रकार की परिस्थितियां हो किसी प्रकार का समय हो मुझे जीना आता है और तुम राजा हो तुम्हारे भीतर सुख-सुविधाओं का वास है तुम कठिन परिस्थितियों में नहीं जी सकते।

संत जहां भी रहते हैं वह खुश रहते हैं वह अपने परिस्थितियों से नहीं घबराते वह सदैव ईश्वर की आराधना में लगे रहते हैं इसलिए वह सदैव खुश रहते हैं। संत को यह फर्क नहीं रहता कि वह जंगल में अपना जीवन व्यतीत कर रहा है या महल में। यही संतों के सुख का राज है।

राजा को अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया था वह संत के बातों को भलीभांति जान गया था उसने संत से अपने मन में आए विचारों के लिए क्षमा मांगा और उन्हें अपने राज्य लाकर राज्य का पंडित राजपुरोहित बनाया

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साहसी बच्चा कहानी

एक छोटे से गांव में एक बच्चा रहता था जिसका नाम विकास था। वह बहुत ही साहसी और उत्साही बच्चा था। वह हमेशा नई चीज़ों को सीखने के लिए तैयार रहता था।

एक दिन, उसने सुना कि उसके गांव में एक खतरनाक सांप आया हुआ है। लोग डर के मारे अपने घरों में बंद हो गए थे। विकास ने तुरंत सोचा कि उसे उस सांप को दूर भगाना होगा।

विकास ने एक बड़े साहस से सांप के पास जाकर उसे देखा। उसने सोचा कि कैसे उसे यहाँ से बाहर निकाल सकता हूँ। उसने धीरे-धीरे पास जाकर सांप को एक पेड़ की ओर बहकर जाने के लिए प्रेरित किया। सांप उसकी बात मानते हुए वहाँ से चला गया।

गांववाले विकास की बहादुरी को देखकर हैरान रह गए। उनका साहस और संकल्प उन्हें एक साहसी और उत्साही व्यक्ति बनाये रखता था। वह गांव के हीरो बन गया।

नैतिक शिक्षा: इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें हमेशा साहस और उत्साह से जीवन के चुनौतियों का सामना करना चाहिए। संकट के समय में भी हार नहीं मानना चाहिए, बल्कि उस समस्या का सामना करना चाहिए और उसे पार करने की कोशिश करनी चाहिए।

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Hindi Story For Class 8 With Moral

रेत और पत्थर की कहानी

एक गांव था। जिसका नाम रामपुर था। उस गांव में दो दोस्त रहते थे। जिसमें एक दोस्त का नाम मिलन और दूसरे दोस्त का नाम ऋषभ था।

उन दोनों दोस्त के आगे पीछे कोई नहीं था। वह दोनों दोस्त अकेले थे। वो दोनों एक ही घर में रहते थे। वह दोनों कुछ ना कुछ काम करके पैसा लाकर अपना गुजारा करते थे।

ब वह एक दिन उन्होंने सोचा कि हम काम तो कर ही रहे हैं। पर अब हमें यह देश और दुनिया कैसी है। यह देखनी चाहिए।

इसीलिए वह दोनों के पास जितना पैसा था। वह लेकर उन्होंने दुनिया घूमने का निर्णय लिया।

ऋषभ ने कहा कि, “हम पैसे भी घूमते-घूमते उस जगह से कमा लेंगे। जिसे पैसे की कमी की कोई भी बात नहीं होगी। उसे हम बहुत ही अच्छे से घूम सकेंगे और इस तरह दुनिया भी घूम लेंगे।”

वह एक दिन घूमते-घूमते रण में पहुंचे। उनमे से ऋषभ पानी की बोटल से पानी पीने लगा।

मिलन पानी की बोटल में से ऋषभ को पीने से रोकने लगा।

उसने ऋषभ को कहा कि, “सावधानी से पानी पीना और बहुत ज्यादा पानी मत पीना।”

यह सुनने के बावजूद भी ऋषभ ने पानी की बोटल को खाली कर दिया।

यह देखकर मिलन को बहुत गुस्सा आया। उसने गुस्से में आकर ऋषभ को चांटा लगा दिया।

उसने कहा कि, “हम यहां रण में है। हमें यहाँ पानी की कभी भी जरूरत पड़ सकती है। तुम्हें पता नहीं है कि पानी यहाँ रण में मिलना कितना मुश्किल होगा। इसीलिए तो मैं तुम्हें मना कर रहा था।”

तब मिलन ने रेत में लिखा की, “मुझे मिलन ने चांटा लगाया।”

ऐसा लिखने के बाद दोनों दोस्त आगे बढ़ने लगे। वहां उन्होंने दूर एक पानी का तालाब देखा। दोनों यह देख कर बहुत खुश हो गए।

उन्होंने पहले अपनी बोटल भरी। बोटल भरने के बाद दोनों तालाब में नहाने लगे।

वही ऋषभ तालाब में अचानक से डूबने लगा।

तब मिलन ने उसकी जान बचाई। उसकी जान बचाने के लिए ऋषभ ने मिलन को धन्यवाद दिया। मिलन ने भी उसको चांटा लगाने के लिए ऋषभ से माफ़ी मांगी।

वह दोनों फिर से अच्छे से बात करने लगे। उन्होंने एक पेड़ के नीचे कुछ समय आराम करने का सोचा।

वहा कुछ समय आराम करने के बाद जब मिलन ने जाने को कहा तब ऋषभ ने वहा एक पत्थर पर लिखा कि “मिलन ने मेरी जान बचाई।”

यह देख मिलन ने आश्चर्य से पूछा कि यह तुम क्या कर रहे हो?

पहले तुमने रेत पे लिखा और फिर पत्थर पे लिखा।

उसने कहा कि जब तुमने मुझे चांटा मारा। वह याद रखने जैसी कोई चीज नहीं थी। क्योकि दोस्तों के बीच ऐसा चलता है। इसलिए मैंने उसे रेत पर लिखा जिसे वह पवन आने पर मिट जाये।

तुमने मेरी जान बचाई। यह हमेशा याद रखने की चीज है। इसीलिए मैंने इसे पत्थर पर लिख दिया है कि, “तुमने मेरी जान बचाई।” जिसे कोई भी मिटा ना सके।

नैतिक सीख: एक सच्चा मित्र हमेशा अपने मित्र के साथ बिताई हुई अच्छी चीजों को याद रखता है बजाय बुरी चीजों के।

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संघर्ष से सफलता की ओर

एक समय की बात है, एक गांव में एक गरीब परिवार रहता था। उस परिवार में एक छोटी सी बेटी थी, जिसका नाम सीमा था। सीमा बहुत ही पढ़ाई में अच्छी थी और उसका सपना था कि वह एक दिन डॉक्टर बनेगी।

लेकिन उसके परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी कि वह अच्छे कॉलेज में पढ़ाई कर सके। फिर भी, सीमा ने हार नहीं मानी और संघर्ष करने का निश्चय किया। उसने रोजगार की जगह पढ़ाई के लिए समय निकाला और संघर्ष की ओर बढ़ते गए।

सीमा ने समर्पण से पढ़ाई की, रात-रात भर मेहनत की, और संघर्ष नहीं छोड़ा। उसने स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन को बनाए रखते हुए पढ़ाई में लग गई।

अंत में, सीमा ने अपने संघर्ष और मेहनत से अच्छे अंक प्राप्त किए और एक प्रमुख मेडिकल कॉलेज में दाखिला प्राप्त किया। उसका सपना पूरा हुआ, सीमा डॉक्टर बन गई।

नैतिक शिक्षा: इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि संघर्ष और मेहनत से कोई भी मुश्किल पार की जा सकती है। हालात चाहे जैसे भी हों, अगर हमारी मेहनत और संघर्षशीलता मजबूत हो, तो हम सफलता जरूर प्राप्त कर सकते हैं।

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Short Hindi Story For Class 8

क्या जीत से खुशियां हासिल होती है कहानी

सिकंदर अपनी भारी-भरकम सेना को लेकर विश्व को जीतने निकला था। एक के बाद एक वह अनेक राज्यों को जीत चुका था , कितने ही देश अपने तलवार के नोक पर जीत चुका था। उसकी सेना भारी मात्रा में नरसंहार करती और अपने शक्ति का परिचय देती हुई पूरब के देशों की ओर शीघ्रता से बढ़ती हुई चली आ रही थी। सिंधु नदी के उस पार अफगान की सेनाओं ने भारी मात्रा में जमावड़ा लगाया हुआ था , शायद थके हुए थे कुछ दिन विश्राम करना चाहते थे।

सामने शस्य श्यामल भारत माता का आंचल जो प्रेम , सौहार्द और भक्ति से परिपूर्ण थी। जिसके कण-कण में देवताओं का वास था , विशाल हृदय से भारत माता दोनों बाहें फैलाकर अपने अतिथियों का स्वागत करती। सिंधु नदी के पार बैठा सिकंदर सेल्यूकस और उसके अन्य महान मंत्री गण भारत की ओर देखते हुए भारत की अद्वितीय छटा को निहार रहे थे।

वह जल्द ही भारत पर आक्रमण कर उसे अपना हिस्सा बनाना चाह रहे थे।
शायद वह इसका स्वप्न भी पूर्व में देखा करते थे आज वह जीत हासिल करने का समय आ गया था।

सामने ही एक पर्वत पर तपस्वी का आश्रम था। वह तपस्वी विश्व विख्यात था , सिकंदर ने उन तपस्वी से मिलने की इक्छा लेकर आश्रम में पहुंच गया । सिकंदर चुकी तपस्वी के बारे में पूर्व जानता था , उसने तपस्वी को अपने रोबदार अंदाज में कहा ! तपस्वी मैंने आपकी प्रशंसा सुनी हुई है आपको किसी बात की कोई कमी हो मुझसे कुछ आपको प्राप्त करना हो तो अवश्य कहिएगा।

तपस्वी ने शांत चित्त भाव से सिकंदर की संपूर्ण बातों को सुना और कहां , क्या तुम्हें युद्ध करना और जीतना पसंद है ? सिकंदर ने कहा हां ! मुझे युद्ध करना और जीतना बेहद पसंद है क्योंकि मैंने विश्व विजय का सपना देखा है और ऐसा करने से मुझे खुशी मिलती है।

तपस्वी ने कहा तुम्हें इससे खुशी नहीं मिलेगी , क्योंकि जब तुम संपूर्ण विश्व को जीत जाओगे तब तुम्हारे पास जितने के लिए और कुछ नहीं होगा , तब तुम खुश नहीं रह पाओगे। इसलिए तुम्हें यह कार्य छोड़ देना चाहिए और समाज विश्व बंधुत्व की भावना का विस्तार करो । सिकंदर सोच में पड़ गया आज से पूर्व किसी ने उससे जीत और जीत के बाद दुखी की बात को नहीं कही थी।

वह कुछ सोचते हुए वहां से अपने शिविर लौट आया।

जल्द ही सिकंदर और उसके सैनिकों का सामना पोरस तथा चंद्रगुप्त जैसे योद्धा और चाणक्य जैसे विद्वानों से हुआ। जिसमें उसे पराजय का सामना करना पड़ा और अपना विश्व विजय का सपना बीच में ही छोड़कर वापस प्राण लेकर भागने पड़े।

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Hindi Story For Class 8 Students

चालाक दूधवाला कहानी

एक नगर था जिसका नाम था कृष्ण नगर। उसमें एक दूधवाला रहता था। उसकी सारी पीढ़ी दूध बेचने का काम करती थी और वह भी दूध बेचता था।

उसके पास बहुत सारी भैसे थी। वह उस गांव का सबसे बड़ा दूध वाला था। वह काफी धनवान भी था। और साथ ही वह बहुत बुद्धिमान भी था।

वह हरदिन बहुत सारा दूध लोगों को बेचता था। ना सिर्फ लोगों को बेचता था। बल्कि वह उस गांव के राजा को भी अपनी भैसों का दूध बेचता था।

जब उसके पिता का अवसान हुआ तब उसके पास सिर्फ पांच भैसे थी। पर अब उसके पास उसकी मेहनत और बुद्धिमानी के कारण 50 भैसे है।

वह हरसाल एक या दो भैसे रामलाल नाम के एक व्यापारी से खरीदता था। इस साल भी वह रामलाल के पास गया।

दूधवाले ने रामलाल की भैसो में से एक अच्छी सी भैंस को पसंद किया। उसने उसका मूल्य दिया और भैंस को लेकर चला गया।

बीच में एक जंगल का रास्ता था। वह उस जंगल में अपनी भैस को लेकर जा रहा था।

तब वहां अचानक से एक आदमी आया। जिसके हाथ में एक बहुत बड़ा सा डंडा था। उसने उसे डंडे को दिखाकर धमकी दी कि, “मुझे तुम्हारी भैंस देकर चले जाओ।”

दूधवाले ने कहा कि, “मैंने इसे धन देकर खरीदा है मैं तुम्हें यह बेस भैंस क्यों दूं?”

तब उस दूधवाले को मारने की धमकी दी। दूधवाला यह देखकर कुछ उपाय सोचने लगा। उसे एक युक्ति सूजी।

उससे कहा कि, “क्यों नही? मैं आपको यह भैंस दे सकता हूं।”

बहुत ही अच्छे से उसने उसे अपनी भैंस दे दी।

यह देखकर वह आदमी खुश हो गया।

दूधवाले ने उस आदमी से कहा कि, “मैं तो भैंस लेने गया था। अगर मैं गांव में खाली हाथ जाऊंगा तो मेरी बहुत बदनामी होगी। इसीलिए मुझे उसके बदले कुछ दे सकते हो?।”

उस आदमी ने कहा कि, “मैं तुम्हें क्या दे सकता हूँ?”

तब दूधवाले ने कहा कि, “तुम मुझे तुम्हारा यह डंडा दे दो।

तब वह आदमी ने सोचा कि, “भैस तो मेरे पास आ गई है अब इस डंडे का क्या लाभ? ऐसा सोचकर उसने डंडा दे दिया।”

दूधवाले ने डंडा लेते ही उसे धमकी दी कि, “उसकी भैंस वापस कर दे वरना उसे डंडे से मार देगा।”

उसने उसकी भैस वापस दे दी। भैस वापस देने के बाद उसने उसका डंडा वापस मांगा।

तब दूधवाले ने कहा कि, “मैं तुम्हें बेवकूफ दिखता हूँ। यहाँ जिसके पास डंडा है उसी की भैंस होती है।” ऐसा सुनकर वह आदमी भाग गया।”

नैतिक शीख: इस कहानी से दो सीख मिलती है।

Hindi Story For Class 8 Students | Moral Stories for class 8
  1. हमें हमेशा कोई भी ऐसी समस्या में शांति और बुद्धिमानी से काम करना चाहिए।
  2. हमें कोई चीज के वजह से अगर कोई चीज मिली हो तो उसका महत्व उस मिलने वाली चीज के मुकाबले ज्यादा हो जाता है ये बात को ध्यान में रखना चाहिए।

निष्कर्ष

अंत में, Hindi Story For Class 8 Students | Moral Stories for class 8 भाषा कौशल विकसित करने और पढ़ने और लिखने के प्रति प्रेम को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण और मूल्यवान उपकरण है। अपनी सरल भाषा और आकर्षक विषयों के साथ, ये कहानियाँ उन युवा शिक्षार्थियों के लिए बिल्कुल उपयुक्त हैं जो अभी हिंदी की दुनिया की खोज शुरू कर रहे हैं।

चाहे वे ‘लालची सियार’ जैसी क्लासिक कहानियों की खोज कर रहे हों या अपनी कल्पनाओं में नए रोमांच की खोज कर रहे हों, कक्षा 8 के छात्रों को Hindi में कहानियों के माध्यम से बढ़ने और सीखने के कई अवसर मिलेंगे। जैसे ही आप इस ब्लॉग पोस्ट के अंत तक पहुँचते हैं, मुझे आशा है कि आप इस रोमांचक और मनोरम शैली में खोज की अपनी यात्रा शुरू करने के लिए प्रेरित और प्रेरित महसूस करेंगे। पढ़ने के लिए आपका शुक्रिया!

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Ankita Tiwari की जीवनी: मेरा नाम Ankita Tiwari है और मैं एक रुचिकर व्यक्ति हूँ जो हिंदी साहित्य, कविता, और कहानियों के क्षेत्र में रूचि रखती हूँ। मैं अपने ब्लॉग Gktrickhindi.in पर अपनी एवं पर्सिद वक्तियो रचनाएँ साझा करती हूँ ताकि लोग इससे प्रासंगिक और मनोहर ज्ञान प्राप्त कर सकें। मेरी शिक्षा का क्षेत्र 2012 में आर्ट्स में स्नातक किया गया था, और मैंने इस योग्यता को हाजीपुर, बिहार स्थित 'RN College' से प्राप्त की थी। इस समय से मैंने अपनी रचनाएँ साझा करने का कार्य शुरू किया है और इसके माध्यम से भाषा, साहित्य, और सांस्कृतिक बातचीत को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही हूँ। मुझे कहानी लिखने और पढ़ने में बहुत मजा आता है, और मैं इसे अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानती हूँ। मैं यहाँ तक कि हिंदी साहित्य को बढ़ावा देने के लिए उत्सुक हूँ और लोगों को इस क्षेत्र में रुचि लेने के लिए प्रेरित करना चाहती हूँ। धन्यवाद।

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