Poetry of Mirza Ghalib: नमस्कार, आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए मिर्ज़ा ग़ालिब कविता और आकर्षक मिर्ज़ा ग़ालिब कविता हिंदी में लेकर आये हैं।
ऐसी कई वेबसाइटें हैं जहां आप हिंदी में कविताएं पा सकते हैं, यहां आपको कई तरह की मिर्ज़ा ग़ालिब कविता मिलेंगी। यह हिंदी कविता मैंने आपके लिए लिखी है, मैंने यह पोस्ट आपके लिए तैयार की है, आप आसानी से पढ़ सकते हैं।
Poetry of Mirza Ghalib
दिल ही तो है न तुम्हारा, ख़याल ही तो हूँ मैं,
जो धड़कनों में बस गया, वो आलम ही तो हूँ मैं।
बे-ख़ुदी गरीबाँ हो गई, ख़िराज़ हो गई हूँ,
मेरे आगे कुछ भी नहीं, मैं ख़ुद ही बे-नियाज़ हूँ मैं।
इश्क़ में निगाहों से गिरगिट का हाल क्या होता,
रोज़ खाक होता हूँ, गुलज़ार ही तो हूँ मैं।
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पर दम निकले,
बहुत से रंग हैं इस दिल के दरवाज़े पर चढ़ीं हुई।
मेरे होने की बात ना पूछ, मेरे पीछे अकेला हूँ,
मैं ज़िंदगी का आसमान हूँ, जो हर किसी के लिए बेहद अनजान हूँ।
मिर्ज़ा ग़ालिब की कविता हिंदी में
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पर दम निकले,
बहुत से रंग हैं इस दिल के दरवाज़े पर चढ़ीं हुई।
रात दिन इक सजदे में बैठा करता हूँ,
इस जहाँ में ये बता करता हूँ।
रंगीं है दुनिया, अब मैं क्या कहूँ,
कहने के लिए बहुत कुछ है, मगर मैं चुप हूँ।
मोहब्बत करने वालों को इनायत होती है,
चाहत में कुर्बान हो जाता हूँ।
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पर दम निकले,
बहुत से रंग हैं इस दिल के दरवाज़े पर चढ़ीं हुई।
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